नेशनल ब्रेकिंग केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं। नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने जातिगत राजनीति पर कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा, “जो करेगा जात की बात, उसको मारूंगा कस के लात।”
गडकरी नागपुर के एक अल्पसंख्यक संस्थान के दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, “मैं सार्वजनिक रूप से जाति और धर्म की राजनीति में विश्वास नहीं करता। मेरे लिए समाज सेवा सबसे ऊपर है। अगर चुनाव हार भी जाऊं या मंत्री पद चला जाए, तो भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करूंगा। मंत्री पद नहीं मिला तो मर नहीं जाऊंगा।”
जाति-धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं करता
गडकरी ने कहा कि वे राजनीति में होने के बावजूद जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव में विश्वास नहीं रखते। उन्होंने कहा, “राजनीति में कई तरह की बातें होती हैं, लेकिन मैंने अपने तरीके से काम करने का फैसला किया है। मुझे इस बात की चिंता नहीं कि कौन मुझे वोट देगा। मैं सही फैसले लेने में यकीन रखता हूं।”
गडकरी ने कहा कि उनके कई साथियों ने उनसे कहा कि सार्वजनिक जीवन में रहते हुए इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए। लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि वे अपने मूल्यों और सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करेंगे। “चुनाव हार जाऊं या मंत्री पद चला जाए, मुझे इसकी चिंता नहीं। मैं अपने सिद्धांतों पर कायम रहूंगा।”
मुस्लिम समुदाय को ज्यादा शिक्षा मिले, तभी देश आगे बढ़ेगा
गडकरी ने अपने कार्यकाल की एक घटना साझा करते हुए बताया कि MLC रहते हुए उन्होंने एक इंजीनियरिंग कॉलेज की अनुमति नागपुर स्थित अंजुमन-ए-इस्लाम संस्थान को ट्रांसफर कर दी थी। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय को इसकी ज्यादा जरूरत थी।
गडकरी ने कहा, “अगर मुस्लिम समुदाय से ज्यादा इंजीनियर, IPS और IAS अधिकारी बनेंगे, तो देश आगे बढ़ेगा। हमारे पास पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का उदाहरण है।”
उन्होंने शिक्षा की ताकत को रेखांकित करते हुए कहा कि “आज अंजुमन-ए-इस्लाम के बैनर तले हजारों छात्र इंजीनियर बन चुके हैं। अगर उन्हें पढ़ने का अवसर नहीं मिलता, तो वे इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाते। शिक्षा ही समाज और देश की सबसे बड़ी ताकत है, जो जीवन को बदल सकती है।”

- नागपुर के एक कार्यक्रम में नितिन गडकरी ने जाति की राजनीति पर सख्त बयान देते हुए कहा – “जो करेगा जात की बात, उसको मारूंगा लात।”
- गडकरी ने कहा कि चुनाव हार जाएं या मंत्री पद चला जाए, वे जाति-धर्म की राजनीति में विश्वास नहीं करते।
- उन्होंने अंजुमन-ए-इस्लाम संस्थान को इंजीनियरिंग कॉलेज की अनुमति देने का जिक्र करते हुए मुस्लिम शिक्षा को जरूरी बताया।
- पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का उदाहरण देते हुए शिक्षा को सबसे बड़ी ताकत बताया, जो समाज और देश को बदल सकती है।
- गडकरी के इस बयान को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज, सोशल मीडिया पर भी उनके बयान को लेकर बहस शुरू।