नेशनल ब्रेकिंग: राजस्थान के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (एमएचटीआर) में पहली बार दुर्लभ कैराकल (स्याहगोश) कैमरा ट्रैप में नजर आया है। बिल्ली प्रजाति का यह वन्यजीव भारत में बेहद कम संख्या में पाया जाता है, और इसकी आबादी 50 से भी कम मानी जाती है। राजस्थान के पर्यावरण एवं वन मंत्री संजय शर्मा ने इस खबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा किया है। इससे पहले, पिछले साल रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में भी इस जीव की मौजूदगी दर्ज की गई थी।
कैसे मिला कैराकल का सुराग?
एमएचटीआर के उपवन संरक्षक मुथु सोमासुंदरम के अनुसार, टाइगर रिजर्व में हर साल दो बार होने वाले सर्वे के लिए लगाए गए कैमरा ट्रैप में यह दुर्लभ जीव कैद हुआ। फरवरी में रिकॉर्ड हुए डेटा की जांच के दौरान मार्च में इसकी पहचान हुई। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में यह पहली बार रिकॉर्ड किया गया है।
राजस्थान में कहां-कहां दिखता है कैराकल?
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के डीसीएफ अरविंद कुमार झा का कहना है कि कैराकल की कोई निश्चित काउंटिंग रिपोर्ट नहीं है। हालांकि, यह रणथंभौर, सरिस्का, करौली और धौलपुर के जंगलों में भी देखा गया है। यह काफी गुप्त स्वभाव का जीव है और आमतौर पर नजर नहीं आता। देशभर में इनकी आबादी 50 से भी कम आंकी गई है और भारत में यह मुख्य रूप से राजस्थान में ही पाया जाता है।
7-8 फीट ऊंची छलांग लगाने में सक्षम
कैराकल पूरी तरह मांसाहारी वन्यजीव है। यह नेवला, चूहे, पक्षी, खरगोश, छोटे हिरण और बंदरों का शिकार करता है। अपने शिकार का पीछा करते हुए यह 15 से 20 फीट तक नजदीक पहुंच जाता है और फिर अचानक छलांग लगाकर उसे दबोच लेता है। यह 7 से 8 फीट तक ऊंची छलांग लगाने में सक्षम होता है। हालांकि, जंगल में बाघ, शेर, पैंथर और हाइना इसके शिकारी होते हैं, जिससे बचने के लिए यह बेहद सतर्क रहता है।
कैसा दिखता है कैराकल?
कैराकल एक लंबे पैरों वाली बिल्ली प्रजाति है, जिसकी पूंछ छोटी होती है। इसकी ऊंचाई 17 से 24 इंच होती है और नर का वजन 13 से 18 किलो तक हो सकता है, जबकि मादा का वजन 11 किलो तक होता है। इसकी लंबाई 26 से 35 इंच तक हो सकती है और इसकी पूंछ लगभग 12 इंच लंबी होती है। इसका रंग रेत के रंग का या वाइन रेड ग्रे होता है और आंखों के ऊपर काले धब्बे होते हैं।
बिना पानी के भी जिंदा रह सकता है
कैराकल की सबसे अनोखी विशेषता यह है कि यह लंबे समय तक बिना पानी पिए भी जीवित रह सकता है। यह अपनी जल आवश्यकताओं को शिकार के शरीर से प्राप्त होने वाले तरल पदार्थ से पूरा करता है। जंगल में इसकी औसत आयु 12 साल होती है, जबकि चिड़ियाघरों में यह 17 साल तक जीवित रह सकता है।
राजस्थान के जंगलों के लिए क्या है इसका महत्व?
राजस्थान में कैराकल की मौजूदगी वन्यजीव जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। चूंकि इसकी संख्या बेहद कम है, इसलिए वन विभाग इस पर विशेष अध्ययन और संरक्षण कार्यक्रम चलाने की योजना बना रहा है। इसकी गतिविधियों को समझने और इसके क्षेत्र का निर्धारण करने के लिए और अधिक सर्वेक्षण और कैमरा ट्रैपिंग की जाएगी। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में दुर्लभ कैराकल का दिखना राजस्थान के वन्यजीव संरक्षण के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। वन विभाग और विशेषज्ञ अब इस जीव की सुरक्षा और उसके प्राकृतिक आवास को बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की तैयारी कर रहे हैं।

- पहली बार कैराकल की पुष्टि: मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (एमएचटीआर) में कैमरा ट्रैप में दुर्लभ कैराकल कैद हुआ।
- संख्या बेहद कम: भारत में कैराकल की आबादी 50 से भी कम मानी जाती है, जो मुख्य रूप से राजस्थान में पाई जाती है।
- सर्वेक्षण में मिला सुराग: फरवरी 2025 के डेटा विश्लेषण में कैराकल की मौजूदगी की पुष्टि हुई।
- अन्य स्थान: यह रणथंभौर, सरिस्का, करौली और धौलपुर के जंगलों में भी देखा गया है।
- संरक्षण की जरूरत: राजस्थान सरकार कैराकल पर शोध और संरक्षण कार्यक्रम बढ़ाने की योजना बना रही है।