नेशनल ब्रेकिंग. कर्नाटक में सोमवार को राहुल गांधी के करीबी और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा के खिलाफ FIR दर्ज हुई। यह मामला उनके NGO, फाउंडेशन फॉर रिवाइटेलाइजेशन ऑफ लोकल हेल्थ ट्रेडिशन (FRLHT), द्वारा वन विभाग की जमीन कब्जाने से संबंधित है। भाजपा की शिकायत पर यह केस दर्ज किया गया है।
भाजपा की शिकायत पर कार्रवाई
भाजपा नेता रमेश एनआर की शिकायत के आधार पर, पित्रोदा और उनके NGO के साथी, वन विभाग के अफसरों और एक रिटायर्ड IAS अफसर पर केस दर्ज किया गया। रमेश ने 24 फरवरी को ED और लोकायुक्त से इस मामले की शिकायत की थी। जांच के बाद FIR दर्ज की गई है।
सैम पित्रोदा का बचाव
एफआईआर दर्ज होने के बाद सैम पित्रोदा ने 27 फरवरी को X पर पोस्ट करते हुए कहा था कि उनके पास भारत में कोई जमीन, घर या शेयर नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने अपनी 83 साल की जिंदगी में कभी भी किसी भी देश में रिश्वत नहीं दी और न ही ली है।
14 साल पहले खत्म हो गई थी लीज, फिर भी कब्जा बनाए रखा
सैम पित्रोदा ने 1996 में अपने NGO FRLHT के तहत कर्नाटक के येलहंका में 5 हेक्टेयर जंगल की जमीन लीज पर ली थी। लीज 2011 में समाप्त हो गई, लेकिन पित्रोदा और उनके सहयोगी अब भी इस जमीन पर अस्पताल चला रहे हैं। इसके अलावा, इस जमीन पर बिना अनुमति के इमारतें भी बनाई गई हैं, जो कि विवाद का कारण बनी हैं। जमीन की कीमत करीब 150 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है।
कानूनी कार्रवाई में नाम शामिल
इस FIR में सैम पित्रोदा के अलावा उनके NGO के साथी दर्शन शंकर, रिटायर्ड IAS अफसर जावेद अख्तर, वन विभाग के अन्य अधिकारी और बेंगलुरु शहरी डिवीजन के उप वन संरक्षक का नाम भी शामिल है।
रिसर्च के लिए लीज पर ली गई थी जमीन
भाजपा नेता रमेश ने आरोप लगाया कि FRLHT ने औषधीय जड़ी-बूटियों के संरक्षण और रिसर्च के लिए वन विभाग से यह जमीन लीज पर ली थी, लेकिन लीज खत्म होने के बाद इसे वापस नहीं किया गया।
सैम पित्रोदा के विवादित बयान और इस्तीफा
इससे पहले, सैम पित्रोदा कई विवादित बयानों के कारण चर्चा में आ चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान उनके एक बयान पर भारी विवाद हुआ था, जिसके बाद उन्हें इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा था, हालांकि बाद में उन्हें फिर से इस पद पर नियुक्त कर दिया गया था।