आंध्र प्रदेश सरकार ने अनुसूचित जातियों (SC) के लिए आरक्षण के भीतर कोटा लागू करने का फैसला लिया है। गुरुवार को जारी अध्यादेश के तहत, राज्य की 59 SC जातियों को तीन अलग-अलग ग्रुप में बांटकर आरक्षण का वितरण किया जाएगा। यह कदम सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद उठाया गया है, जिसमें राज्यों को अनुसूचित जातियों और जनजातियों के भीतर सब-क्लासिफिकेशन करने की अनुमति दी गई थी।
अब राज्य में चंदाला, पाकी, रेल्ली, डोम जैसी 12 जातियां ग्रुप-I में रखी गई हैं, जिन्हें 1% आरक्षण मिलेगा। वहीं चमार, मादिगा, सिंधोला, मातंगी जैसी जातियों को ग्रुप-II में शामिल करते हुए 6.5% आरक्षण दिया गया है। माला, अदि आंध्र, पंचमा जैसी प्रमुख जातियों को ग्रुप-III में रखकर 7.5% आरक्षण निर्धारित किया गया है। इस तरह 15% के कुल SC आरक्षण को सामाजिक और शैक्षणिक आधार पर वर्गीकृत किया गया है।
जनगणना के आंकड़ों पर आधारित आयोग की सिफारिश
इस फैसले की नींव दिसंबर 2024 में रखी गई थी, जब राज्य सरकार ने रिटायर्ड IAS अधिकारी राजीव रंजन मिश्रा को एक सदस्यीय आयोग बनाकर रिपोर्ट तैयार करने को कहा। आयोग ने 2011 की जनगणना को आधार बनाकर जातियों की सामाजिक स्थिति, शिक्षा और रोजगार की स्थिति का विश्लेषण किया और रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी।
तेलंगाना और हरियाणा पहले ही कर चुके हैं लागू
आंध्र प्रदेश से पहले तेलंगाना और हरियाणा में भी SC कोटे के भीतर कोटा लागू किया जा चुका है। तेलंगाना सरकार ने 14 अप्रैल को आदेश जारी करते हुए SC जातियों को तीन ग्रुप में बांट दिया। इसके लिए राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज शमीम अख्तर की अध्यक्षता में आयोग गठित किया था।
हरियाणा में भी BJP की तीसरी बार सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पहली कैबिनेट मीटिंग में यह फैसला लिया। वहां SC के लिए 15% और ST के लिए 7.5% आरक्षण पहले से ही मौजूद है।
तेलंगाना में OBC आरक्षण बढ़ाकर 42% करने का ऐलान
तेलंगाना सरकार ने OBC समुदाय के लिए भी बड़ा ऐलान किया है। 17 मार्च 2025 को मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने राज्य में OBC आरक्षण को 23% से बढ़ाकर 42% करने की घोषणा की। उन्होंने विधानसभा में कहा कि OBC को बराबरी का हक दिलाने के लिए सरकार हर जरूरी कानूनी प्रक्रिया अपनाएगी।
यदि यह फैसला लागू होता है, तो तेलंगाना में आरक्षण की कुल सीमा 62% हो जाएगी, जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई 50% की सीमा से ज्यादा होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने बदला 20 साल पुराना फैसला
इस बदलाव की संवैधानिक अनुमति सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त 2024 को दी थी। सात जजों की संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से फैसला देते हुए कहा कि राज्य सरकारें SC और ST जातियों के भीतर सब-क्लासिफिकेशन कर सकती हैं, ताकि सबसे पिछड़ी जातियों को आरक्षण का वास्तविक लाभ मिल सके।इस फैसले में 2004 के ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश केस को पलट दिया गया, जिसमें कहा गया था कि SC जातियां एक समान समूह हैं और उनके बीच विभाजन नहीं किया जा सकता।

- आंध्र प्रदेश सरकार ने SC आरक्षण के भीतर तीन उप-कोटा लागू करते हुए नया अध्यादेश जारी किया है।
- सुप्रीम कोर्ट के 2024 के फैसले के बाद यह कदम संभव हो सका, जिसमें राज्यों को SC उप-वर्गीकरण की अनुमति दी गई थी।
- 59 अनुसूचित जातियों को तीन ग्रुप में बांटकर 15% कुल आरक्षण को वर्गीकृत किया गया—Group-I (1%), Group-II (6.5%), Group-III (7.5%)।
- इस निर्णय के पीछे राजीव रंजन मिश्रा आयोग की रिपोर्ट है, जो जातियों की सामाजिक-शैक्षिक स्थिति पर आधारित थी।
- यह मॉडल तेलंगाना और हरियाणा में पहले ही लागू हो चुका है और अब आंध्र प्रदेश में भी सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा बदलाव लाया गया है।