Monday, April 28, 2025
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शनि की साढ़े साती, तीन चरणों में होता है इसका असर, कर्म अच्छे हैं तो लाभ भी देते हैं शनिदेव

नेशनल ब्रेकिंग.  शनि को ज्योतिष शास्त्र में एक प्रमुख ग्रह माना जाता है, जो व्यक्ति को अच्छे और बुरे दोनों तरह के फल देता है। शनि के प्रभाव से जुड़ी एक विशेष अवधि होती है जिसे साढ़े साती कहा जाता है। इस समय को लेकर अक्सर लोगों में डर और अनिश्चितता पाई जाती है। लेकिन क्या वाकई शनि की साढ़े साती से घबराने की जरूरत है? आइए जानते हैं।

शनि की साढ़े साती क्या होती है?

 शनि का गोचर धीरे-धीरे होता है और जब शनि किसी राशि में गोचर करते हैं तो उसे साढ़े साती का समय माना जाता है। यह अवधि लगभग साढ़े सात साल की होती है। शनि की साढ़े साती तीन चरणों में विभाजित होती है: पहला, दूसरा और तीसरा चरण। यह समय किसी व्यक्ति के जीवन में एक बार जरूर आता है, हालांकि इसका असर हर व्यक्ति पर अलग-अलग होता है।

शनि की साढ़े साती के तीन चरण

  1. पहला चरण: इस दौरान शनि की साढ़े साती की शुरुआत होती है। यह चरण लगभग ढाई साल का होता है और व्यक्ति की जन्म राशि से अगली राशि में शनि के गोचर से शुरू होता है।
  2. दूसरा चरण: शनि जब उस राशि में प्रवेश करते हैं तो साढ़े साती का दूसरा चरण प्रारंभ होता है। यह चरण कष्टकारी माना जाता है और लगभग ढाई साल का होता है।
  3. तीसरा चरण: शनि जन्म राशि से निकलकर अगली राशि में प्रवेश करते हैं, यह साढ़े साती का अंतिम चरण होता है। इसमें शनि शुभ फल देते हैं।

क्या साढ़े साती से डरने की जरूरत है?

 बहुत से लोग साढ़े साती को लेकर डर जाते हैं, लेकिन यह समय हमेशा बुरा नहीं होता। साढ़े साती के दौरान व्यक्ति अपने कर्मों के अनुसार परिणाम प्राप्त करता है। यदि शनि कुंडली में शुभ स्थिति में हैं और व्यक्ति के कर्म अच्छे हैं, तो साढ़े साती में भी अच्छे फल मिल सकते हैं। इस दौरान व्यक्ति की कठिनाइयों का सामना करके वह मजबूत बनता है, जैसे कुम्हार मिट्टी को निखारकर सुंदर बर्तन बनाता है।

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