उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर दोहराया कि भारत में सर्वोच्च संस्था संसद है, न कि कोई और। दिल्ली यूनिवर्सिटी के संविधान विषयक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि संविधान वही होता है जो सांसद तय करें। उनका मानना है कि सांसद ही देश के असली मालिक हैं और उनके ऊपर कोई संस्था नहीं हो सकती। ये बयान उस वक्त आया है जब सुप्रीम कोर्ट और संसद के बीच अधिकारों को लेकर बहस तेज हो चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद क्यों भड़के सांसद और उपराष्ट्रपति
8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार बनाम राज्यपाल केस में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि राज्यपालों को विधानसभा से आए बिलों पर एक महीने में फैसला करना होगा। इतना ही नहीं, कोर्ट ने राष्ट्रपति को भी सीमित समय में फैसला लेने के निर्देश दिए थे। इसी फैसले पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और उपराष्ट्रपति धनखड़ ने नाराज़गी जताई।
निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर क्या कहा
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सवाल उठाया कि सुप्रीम कोर्ट के पास राष्ट्रपति को निर्देश देने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट हर चीज़ में दखल देगा तो फिर संसद और विधानसभा की जरूरत ही क्या है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को धार्मिक उन्माद और गृहयुद्ध के लिए जिम्मेदार ठहराया। उनके इस बयान पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल हो चुकी है।
धनखड़ ने संविधान और न्यायपालिका की भूमिका पर उठाए सवाल
उपराष्ट्रपति ने न्यायपालिका की शक्तियों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 142 के तहत कोर्ट को मिला अधिकार लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए चुनौती बन गया है। उन्होंने जजों को ‘सुपर संसद’ जैसा व्यवहार करने वाला बताया और कहा कि देश में अब ऐसे जज हैं जो कानून बनाएंगे, और किसी को जवाबदेह नहीं होंगे। इससे पहले भी उन्होंने कहा था कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं।
सुप्रीम कोर्ट ने तय की थी टाइमलाइन, राष्ट्रपति भी अब जवाबदेह
कोर्ट ने सिर्फ राज्यपाल ही नहीं बल्कि राष्ट्रपति के लिए भी समय सीमा तय कर दी थी। अगर राज्यपाल कोई बिल राष्ट्रपति के पास भेजते हैं तो तीन महीने के अंदर उस पर फैसला लेना होगा। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रपति का पॉकेट वीटो अब असीमित नहीं है, और उनके फैसले की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है। यही बिंदु संसद और सुप्रीम कोर्ट के बीच तनाव की असली जड़ बन चुका है।

- उपराष्ट्रपति धनखड़ ने संसद को सर्वोच्च संस्था बताया, सुप्रीम कोर्ट से ऊपर बताया।
- सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल और राष्ट्रपति को बिलों पर फैसले के लिए तय की समय सीमा।
- सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर किया सीधा हमला, कोर्ट की भूमिका पर सवाल उठाए।
- धनखड़ बोले- जज अब सुपर पार्लियामेंट की तरह व्यवहार कर रहे हैं, कानून बनाना शुरू कर दिया है।
- सुप्रीम कोर्ट 22 अप्रैल को दुबे के खिलाफ याचिका पर करेगा सुनवाई, सोशल मीडिया से बयान हटाने की मांग।