Monday, April 28, 2025
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नया वक्फ कानून सुप्रीम कोर्ट में, आज होगी 73 में से 10 याचिकाओं पर सुनवाई

देश में हाल ही में पारित वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में बड़ी कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है। कुल 73 याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें से 10 याचिकाएं बुधवार दोपहर 2 बजे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई हैं। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच कर रही है, जिसमें जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल हैं।

विवाद का केंद्र: संशोधित कानून की धाराएं और मुस्लिम अधिकारों पर प्रभाव

याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि संशोधित कानून से वक्फ संपत्तियों का पारंपरिक प्रबंधन कमजोर पड़ सकता है। उनका कहना है कि वक्फ बोर्ड के चुनाव की प्रक्रिया समाप्त कर दी गई है और गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति की अनुमति देकर समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता और आत्म-निर्णय के अधिकार पर आंच आई है।

इसके अतिरिक्त, याचिकाएं यह भी बताती हैं कि कार्यकारी अधिकारियों के पास अब ज़्यादा अधिकार होंगे, जिससे सरकार को संपत्तियों पर नियंत्रण का रास्ता खुल सकता है। एक बड़ा मुद्दा यह भी है कि ST समुदाय के लोगों को वक्फ संपत्ति निर्माण से रोका गया है, जिसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया गया है।

‘वक्फ बाय यूजर्स’ की मान्यता पर भी सवाल

संशोधित कानून में वक्फ की परिभाषा में बदलाव किया गया है। इससे परंपरागत रूप से उपयोग की जा रही वक्फ संपत्तियां, जो लंबे समय से बिना दस्तावेज़ के चल रही थीं, अब अवैध मानी जा सकती हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इससे सामुदायिक अधिकारों और धार्मिक संरक्षण पर संकट खड़ा हो गया है।

राजनीतिक और सामाजिक मोर्चे से भी विरोध

इस अधिनियम के खिलाफ कई राजनीतिक दलों और संगठनों ने मोर्चा खोल रखा है। याचिका दाखिल करने वालों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वाईएसआर कांग्रेस, सीपीआई, आम आदमी पार्टी, AIMIM, और टीवीके (एक्टर विजय की पार्टी) शामिल हैं। इसके अलावा, दो हिंदू याचिकाकर्ताओं — वकील हरि शंकर जैन और नोएडा निवासी पारुल खेरा ने भी कुछ धाराओं को चुनौती दी है।

धार्मिक संगठनों में अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलमा-ए-हिंद, और सामस्थ केरला जमीयथुल उलमा जैसे प्रमुख संस्थाएं भी अदालत का रुख कर चुकी हैं। इनमें से मौलाना अरशद मदानी की भूमिका खास तौर पर उल्लेखनीय मानी जा रही है।

केंद्र सरकार ने भी दाखिल की केविएट

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ‘केविएट’ (Caveat) दाखिल करते हुए स्पष्ट किया है कि बिना उसकी बात सुने कोई आदेश न दिया जाए। केंद्र का कहना है कि संशोधन से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व आएगा। सात राज्य सरकारों ने भी इस कानून का समर्थन करते हुए कहा है कि यह संविधान के अनुरूप है और किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करता।

 Nationalbreaking.com । नेशनल ब्रेकिंग - सबसे सटीक
  • सुप्रीम कोर्ट ने 16 अप्रैल 2025 को वक्फ कानून में संशोधन के खिलाफ दाखिल 73 याचिकाओं में से 10 याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।
  • याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि नया वक्फ कानून मुस्लिम समुदाय के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और प्रबंधन प्रणाली को प्रभावित करता है।
  • कानून में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने और वक्फ की परिभाषा बदलने जैसी प्रमुख बातों को लेकर सवाल उठाए गए हैं।
  • कांग्रेस, TMC, CPI, AAP, और अन्य दलों के साथ-साथ कुछ हिंदू याचिकाकर्ताओं और धार्मिक संगठनों ने भी इस कानून को चुनौती दी है।
  • केंद्र सरकार ने पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने की बात कहते हुए कानून का बचाव किया और केविएट नोटिस दाखिल कर अपना पक्ष मजबूत किया है।
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