सोमवार, जून 16, 2025
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तुर्की में लोकतंत्र संकट: इस्तांबुल के मेयर इमामोग्लू की गिरफ्तारी के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन

तुर्की की राजनीति में भूचाल आ गया है। रविवार, 23 मार्च को इस्तांबुल के मेयर एक्रेम इमामोग्लू को भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किए जाने के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। जानकारों का कहना है कि यह गिरफ्तारी तुर्की के हालिया इतिहास में सबसे बड़े राजनीतिक संकट को जन्म दे सकती है।

कौन हैं एक्रेम इमामोग्लू, क्यों बने एर्दोगन के विरोधी?

54 वर्षीय इमामोग्लू को तुर्की में राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगन का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी माना जाता है। वह मुख्य विपक्षी दल रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (CHP) के वरिष्ठ नेता हैं। 2019 में उन्होंने इस्तांबुल में सत्तारूढ़ पार्टी का 25 साल पुराना कब्जा खत्म कर राजनीतिक हलचल मचा दी थी। उनकी पार्टी ने हाल ही में हुए स्थानीय चुनावों में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया था, जिससे एर्दोगन सरकार की चिंताएं बढ़ गई थीं।

क्या इमामोग्लू को चुनाव लड़ने से रोकने की हो रही साजिश?

इमामोग्लू को 2028 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में एर्दोगन के मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जा रहा था। उनके समर्थकों का दावा है कि उनकी गिरफ्तारी एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा है ताकि उन्हें चुनावी दौड़ से बाहर किया जा सके। 19 मार्च से शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों ने 23 मार्च तक विशाल रूप ले लिया, जिसमें इस्तांबुल में ही तीन लाख से अधिक लोग सड़कों पर उतर आए।

क्या तुर्की में लोकतंत्र खतरे में?

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पिछले दो दशकों में एर्दोगन ने देश की न्यायपालिका, मीडिया और प्रशासनिक संस्थाओं पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर लिया है। 2016 के असफल तख्तापलट के बाद हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया, सैकड़ों मीडिया संस्थानों को बंद कर दिया गया और विपक्षी नेताओं पर कार्रवाई की गई।

विपक्षी नेताओं पर कार्रवाई का लंबा इतिहास

  1. उस्मान कवला – 2017 से जेल में, सरकार विरोधी प्रदर्शन भड़काने का आरोप।
  2. सेलाहतिन डेमिर्तास – 2016 से कैद, एर्दोगन के सबसे मजबूत कुर्द प्रतिद्वंद्वी।
  3. कैन डुंडर – जर्मनी भाग चुके पत्रकार, अनुपस्थिति में 27 साल की सजा।
  4. एक्रेम इमामोग्लू – 2022 में भी जेल की सजा सुनाई जा चुकी थी।

तुर्की का भविष्य क्या होगा?

इमामोग्लू की गिरफ्तारी के बाद तुर्की में लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। कई वैश्विक संगठनों ने इस पर चिंता जताई है। अगर जनता का गुस्सा इसी तरह बढ़ता रहा, तो तुर्की में राजनीतिक उथल-पुथल और तेज हो सकती है।

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  1. इमामोग्लू की गिरफ्तारी: इस्तांबुल के मेयर एक्रेम इमामोग्लू को 23 मार्च को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
  2. राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता: इमामोग्लू को राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगन का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी माना जाता है, उनकी गिरफ्तारी को राजनीतिक साजिश करार दिया जा रहा है।
  3. विरोध प्रदर्शन: 19 मार्च से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन 23 मार्च तक तेज हो गए, इस्तांबुल में तीन लाख से अधिक लोग सड़कों पर उतरे।
  4. लोकतंत्र पर खतरा: विश्लेषकों के अनुसार, एर्दोगन सरकार की नीतियां लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कमजोर कर रही हैं।
  5. अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: कई वैश्विक संगठनों और मानवाधिकार समूहों ने इमामोग्लू की गिरफ्तारी पर चिंता जताई, जिससे तुर्की की राजनीति में अस्थिरता बढ़ सकती है।
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