चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन, यानी 5 अप्रैल को अष्टमी तिथि है। इस दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की विशेष पूजा होती है। सफेद वस्त्र धारण करने वाली चार भुजाओं वाली महागौरी को उज्ज्वलता, कोमलता और स्थिरता का प्रतीक माना गया है। महागौरी का यह स्वरूप जीवन में आई स्थिरता को दर्शाता है। महागौरी हमारे जीवन को सुख, समृद्धि और संतुलन की ओर ले जाती हैं।
ऐसे करें महागौरी की पूजा
अष्टमी के दिन श्रद्धालु सुबह स्नान करके शुद्धता के साथ मां की पूजा करते हैं। सबसे पहले मां को गंगाजल से स्नान कराकर उनके दिव्य स्वरूप की आराधना की जाती है। फिर आरती की जाती है और हलवा, चना व नारियल से बनी मिठाई का भोग लगाया जाता है।
इस दिन की पूजा न केवल धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि यह आध्यात्मिक चेतना का भी जागरण करती है। भक्त मां से सुख, शांति और नई ऊर्जा की कामना करते हैं।
कन्या पूजन अवश्य करें
अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन की परंपरा विशेष महत्व रखती है। इस दिन कन्याओं को देवी का रूप मानकर आमंत्रित किया जाता है। आगमन पर उनके चरण धोकर, उन्हें आसन पर बैठाया जाता है। फिर उन्हें हलवा, पूरी और चना का पारंपरिक भोजन कराया जाता है।
भोजन के बाद कन्याओं को तिलक, मोली और उपहार या वस्त्र देकर आशीर्वाद लिया जाता है। कुछ घरों में बालकों को भी भगवान भैरव का प्रतीक मानकर पूजन में शामिल किया जाता है।

कन्या पूजन का महत्व
यह परंपरा स्त्री सम्मान और सांस्कृतिक चेतना को सशक्त बनाती है। समाज को यह संदेश देती है कि नारी केवल पूजनीय नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शक भी है। नवरात्रि व्रत की पूर्णता कन्याओं को भोजन करवाकर ही मानी जाती है, और यह मान्यता है कि इससे घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है।