जाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सड़क हादसे के एक महत्वपूर्ण मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि मोटर वाहन दुर्घटना में गर्भ में पल रहा बच्चा भी मोटर वाहन अधिनियम के तहत मुआवजे का हकदार है। यह निर्णय जस्टिस सुवीर सहगल ने सुनाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि दावेदारों को सभी पहलुओं पर विचार करके मुआवजा नहीं दिया गया है। बच्चा उस दुर्घटना के दिन मां के गर्भ में था, ऐसे में वह कानून के मुताबिक हर्जाना पाने का अधिकारी है।
कैथल की महिला ने हाईकोर्ट में लगाई गुहार
यह याचिका हरियाणा के कैथल जिले की एक महिला ने दायर की थी। उसने मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए मुआवजे को बढ़ाने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि सड़क हादसे में उसके पति की मौत हो गई थी। घटना के समय वह गर्भवती थी और हादसे के दो महीने बाद उसने बेटे को जन्म दिया।
हादसे की वजह: ट्रैक्टर की तेज रफ्तार
अदालत में पेश किए गए गवाह ने बताया कि ट्रैक्टर तेज गति से चलाया जा रहा था और टक्कर मारने के बाद ड्राइवर मौके से फरार हो गया। जस्टिस सुवीर सहगल ने कहा कि मृतक, जो भवन निर्माण सामग्री की दुकान चलाता था, 24 वर्ष का था और उसकी आय 6 हजार रुपये प्रति माह मानी गई। अदालत ने मामले में समुचित मुआवजा देने का निर्देश दिया।