नई दिल्ली में 2025 की रायसीना डायलॉग से पहले भारत ने एक महत्वपूर्ण खुफिया एजेंसियों की बैठक आयोजित की, जिसकी मेज़बानी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने की। इस बैठक में फाइव आईज गठबंधन के तीन सदस्य देशों – अमेरिका, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड – के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और खुफिया एजेंसी प्रमुखों ने हिस्सा लिया।
फाइव आईज गठबंधन का महत्व और भारत की बढ़ती भूमिका
फाइव आईज गठबंधन, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा शामिल हैं, एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खुफिया साझेदारी है। हालांकि भारत इस गठबंधन का हिस्सा नहीं है, फिर भी तीन प्रमुख देशों की भागीदारी इस बात का संकेत है कि भारत की भूमिका वैश्विक सुरक्षा मामलों में महत्वपूर्ण हो रही है।
रायसीना डायलॉग 2025: वैश्विक सुरक्षा पर अहम चर्चा
भारत का प्रमुख बहुपक्षीय सम्मेलन, रायसीना डायलॉग, इस साल और भी खास होने जा रहा है। 120 से अधिक देशों के प्रतिनिधि इसमें भाग ले रहे हैं। इस बार न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन मुख्य अतिथि होंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन करेंगे। यह सम्मेलन वैश्विक सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक प्रमुख मंच बन चुका है।
भारत की बढ़ती वैश्विक सुरक्षा जिम्मेदारी
भारत का अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में बढ़ता प्रभाव इस बैठक और रायसीना डायलॉग के आयोजन से साफ दिखाई देता है। भारत न केवल अपने सुरक्षा हितों को महत्वपूर्ण रूप से मजबूत कर रहा है, बल्कि वैश्विक खुफिया साझेदारी में भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है।

- भारत ने NSA अजीत डोभाल के नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण खुफिया एजेंसियों की बैठक का आयोजन किया।
- इस बैठक में फाइव आईज गठबंधन के तीन प्रमुख देशों – अमेरिका, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड – के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
- हालांकि भारत फाइव आईज गठबंधन का सदस्य नहीं है, फिर भी इस बैठक में भारत की वैश्विक सुरक्षा भूमिका को महत्वपूर्ण रूप से दर्शाया गया।
- 2025 का रायसीना डायलॉग सुरक्षा और साइबर सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण चुनौतियों पर चर्चा करेगा, जिसमें 120 से अधिक देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
- भारत की बढ़ती वैश्विक खुफिया साझेदारी में सक्रिय भागीदारी अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में इसके बढ़ते प्रभाव को उजागर करती है।