जोधपुर नेशनल यूनिवर्सिटी (JNU) से जुड़े बहुचर्चित फर्जी डिग्री घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई जारी है। इस मामले में मंगलवार को ईडी ने यूनिवर्सिटी के कोऑर्डिनेटर पुनीत गोदावत की ₹84.82 लाख की संपत्ति अटैच कर ली। यह कार्रवाई जोधपुर में की गई, जहां पहले भी एजेंसी कई दबिशें दे चुकी है।
अब तक अटैच की जा चुकी है ₹21.51 करोड़ की संपत्ति
ईडी की ओर से जारी जानकारी के अनुसार, इस केस में अब तक कुल ₹21.51 करोड़ की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। इस घोटाले के केंद्र में यूनिवर्सिटी के चेयरमैन कमल मेहता हैं, जिनके खिलाफ पहले से ही केस दर्ज है। उनके साथ कई अन्य अधिकारी और समन्वयक जांच के घेरे में हैं।
2014 में सामने आया था फर्जी डिग्री रैकेट
यह मामला सबसे पहले 2014 में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) की जांच में सामने आया था, जिसमें 25 हजार फर्जी डिग्रियां बांटे जाने का बड़ा खुलासा हुआ था। इसके बाद 2015 में ईडी ने केस दर्ज किया और मनी लॉन्ड्रिंग एंगल से जांच शुरू की।
फर्जी नियुक्ति पत्र और सर्टिफिकेट का नेटवर्क तैयार किया गया
जांच में सामने आया कि कमल मेहता ने यूनिवर्सिटी के प्रबंधन बोर्ड की अनुमति के बिना और रजिस्ट्रार के फर्जी हस्ताक्षरों के साथ नियुक्ति पत्र जारी किए। इसके जरिए देशभर में निजी छात्रों को फर्जी डिग्री, मार्कशीट और डिप्लोमा सर्टिफिकेट बेचे गए।
राष्ट्रीय समन्वयकों के ज़रिए वसूली और परीक्षा केंद्र संचालन
इस रैकेट को अंजाम देने के लिए यूनिवर्सिटी में चार राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किए गए, जिन्होंने छात्रों से फीस और फॉर्म का पैसा वसूला। साथ ही, परीक्षाएं कराने और परिणाम जारी करने के लिए कई केंद्र और उपकेंद्र बनाए गए, जो पूरे नेटवर्क को सुचारू रूप से चलाते रहे।

- ईडी ने जोधपुर नेशनल यूनिवर्सिटी के समन्वयक पुनीत गोदावत की ₹84.82 लाख की संपत्ति अटैच की है।
- अब तक इस फर्जी डिग्री घोटाले में कुल ₹21.51 करोड़ की संपत्ति जब्त की जा चुकी है।
- यूनिवर्सिटी के चेयरमैन कमल मेहता पर 2014 में SOG ने 25 हजार फर्जी डिग्रियां बांटने का केस दर्ज किया था।
- आरोप है कि बिना बोर्ड की मंजूरी और रजिस्ट्रार के फर्जी हस्ताक्षरों से नियुक्ति पत्र जारी कर डिग्रियां बेची गईं।
- जांच में सामने आया कि देशभर में बनाए गए केंद्रों और समन्वयकों के ज़रिए छात्रों से पैसे वसूले गए और फर्जी सर्टिफिकेट जारी किए गए।