Monday, April 28, 2025
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राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष की नसीहत: सदन में अशोभनीय भाषा से बचें, मर्यादा का रखें ध्यान

राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सदन में अशोभनीय भाषा के इस्तेमाल को लेकर कड़ी नसीहत दी है। मंगलवार को कोटा प्रवास के दौरान सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत करते हुए देवनानी ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा लोकतंत्र की रीढ़ की हड्डी हैं। ऐसे में सदन में मर्यादा और अनुशासन का पालन करना आवश्यक है।

देवनानी ने कहा कि सोशल मीडिया और यूट्यूब के माध्यम से सदन की कार्रवाई जनता तक सीधे पहुंचती है। ऐसे में सभी सदस्यों को मर्यादित भाषा का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा में आसन के प्रति सम्मान और विश्वास बनाए रखना बेहद जरूरी है।

‘सुसाइड पीड़ा दायक है’

कोटा में लगातार हो रहे स्टूडेंट सुसाइड के मुद्दे पर देवनानी ने गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने इसे पीड़ा दायक बताते हुए कहा कि समाज और सरकार दोनों को मिलकर इस समस्या का समाधान खोजना चाहिए। विधानसभा में वक्फ बोर्ड बिल पर चर्चा के दौरान भी इस मुद्दे पर विधायकों ने अपने सुझाव दिए।

देवनानी ने स्पष्ट किया कि सरकार ने इस मामले को प्रवर समिति को सौंप दिया है। समिति में नियम के अनुसार, आने वाले सत्र के 42 दिनों के भीतर बिल को पारित करवाना होता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सत्र समाप्त होने के बाद इस पर गंभीरता से विचार-विमर्श किया जाएगा।

सदन में मर्यादा की जरूरत

विधानसभा अध्यक्ष ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे सदन में भाषा पर नियंत्रण रखें। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में नियम, मर्यादा और अनुशासन का पालन होना चाहिए। सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए सभी सदस्यों को संयम बरतना चाहिए।

अध्यक्ष देवनानी ने बताया कि कभी-कभी आसन को अनुशासन बनाए रखने के लिए सख्त कार्रवाई भी करनी पड़ती है। लेकिन सभी दलों को आपसी सहमति से नियमों का पालन करना चाहिए ताकि सदन की गरिमा बनी रहे।

 Nationalbreaking.com । नेशनल ब्रेकिंग - सबसे सटीक
  1. विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सदन में अशोभनीय भाषा पर कड़ी नसीहत दी।
  2. कोटा में स्टूडेंट सुसाइड के मुद्दे पर गहरी चिंता जताई और सरकार को सख्त कदम उठाने का सुझाव दिया।
  3. सदन में मर्यादा और अनुशासन बनाए रखने की अपील की, ताकि लोकतंत्र की गरिमा बरकरार रहे।
  4. वक्फ बोर्ड बिल को प्रवर समिति को सौंपा गया है, 42 दिनों में निर्णय की संभावना।
  5. सोशल मीडिया और यूट्यूब पर लाइव सदन की कार्रवाई को देखते हुए, सदस्यों से संयमित भाषा के उपयोग का आह्वान।
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