मंगलवार, नवम्बर 18, 2025
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भाजपा सरकार ने खत्म किए दो-दो निगम, चुनाव तक बने रहेंगे दो-दो मेयर और पार्षद

अशोक गहलोत सरकार द्वारा जयपुर, जोधपुर और कोटा में बनाए गए दो-दो नगर निगमों का फैसला भाजपा सरकार ने शुक्रवार रात बदल दिया। स्वायत्त शासन विभाग ने इन तीनों शहरों में 2-2 नगर निगमों को खत्म कर एक-एक निगम बनाने की अधिसूचना जारी कर दी। अब इन शहरों में सिर्फ एक-एक नगर निगम ही होंगे।

हालांकि, जब तक नए निकाय चुनाव नहीं हो जाते, तब तक दोनों निगमों के मौजूदा मेयर और पार्षद अपने पद पर बने रहेंगे। चुनाव के बाद एक ही निगम और एक ही मेयर का कार्यकाल रहेगा। इस फैसले के साथ प्रदेश में कुल नगर निगमों की संख्या 13 से घटकर 10 हो जाएगी।

राजनीति गरमाई, कांग्रेस ने जताई आपत्ति

स्वायत्त शासन विभाग की अधिसूचना जारी होते ही राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। कांग्रेस पार्टी ने भाजपा सरकार के इस कदम को जनविरोधी करार दिया। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि गहलोत सरकार ने 18 अक्टूबर 2019 को इन शहरों में विस्तार के तहत दो-दो नगर निगम बनाए थे।

दिसंबर से प्रदेश में निकायों के वार्ड का पुनर्गठन और शहरों का परिसीमन का काम चल रहा था। परिसीमन और विस्तार के चलते वार्डों की संख्या को पुनर्व्यवस्थित किया जा रहा है।

अभी बने रहेंगे दो-दो मेयर, परिसीमन के बाद होगा अंतिम फैसला

जयपुर, जोधपुर और कोटा में निगमों का कार्यकाल नवंबर तक है। इस दौरान दोनों नगर निगमों के मेयर और पार्षद अपने पद पर बने रहेंगे। परिसीमन के बाद वार्डों की संख्या में कटौती की जाएगी, जिसके लिए अगले दो महीने का समय निर्धारित किया गया है।

नए परिसीमन के बाद वार्डों की संख्या घटेगी

यूडीएच एवं स्वायत्त शासन मंत्री झाबरसिंह खर्रा ने जानकारी दी कि तीनों शहरों में एक-एक निगम बनने के बाद जयपुर में 150 वार्ड, जोधपुर में 100 वार्ड और कोटा में 100 वार्ड होंगे। इस बदलाव के साथ निकायों के कार्यक्षेत्र को भी पुनर्गठित किया जाएगा।

भाजपा सरकार का कदम: जनहित या राजनीति?

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा सरकार ने यह फैसला आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए लिया है। हालांकि, कांग्रेस इसे जनविरोधी और विकास विरोधी कदम बता रही है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासी टकराव बढ़ने की संभावना है।

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