सोमवार, जून 16, 2025
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वक्फ एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में सियासी भूचाल: केंद्र बोला- इस्लाम में ज़िक्र ज़रूर, पर वक्फ ज़रूरी हिस्सा नहीं

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ एक्ट की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने साफ-साफ कहा कि अगर कोई ज़मीन सरकारी है, तो उस पर वक्फ बाय यूजर के आधार पर भी कोई दावा नहीं बनता। उनका कहना था कि सरकार चाहे तो ऐसी ज़मीन वापस ले सकती है, भले ही वह ज़मीन वक्फ घोषित हो चुकी हो

वक्फ इस्लामी अवधारणा है, लेकिन धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं

मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वक्फ को लेकर इस्लाम में ज़िक्र ज़रूर है, लेकिन ये इस्लाम का अनिवार्य या अनिवार्य रूप से पालन करने योग्य हिस्सा नहीं है। जब तक इसे इस्लाम का ऐसा हिस्सा साबित नहीं किया जाता, जिसकी बिना इस धर्म का अस्तित्व न हो, तब तक बाकी दलीलें टिक नहीं सकतीं

कानून पर सिर्फ 5 याचिकाओं की सुनवाई, ओवैसी की याचिका भी शामिल

कोर्ट इस समय वक्फ एक्ट को चुनौती देने वाली सिर्फ पांच याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच इस मामले को देख रही है। केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए जबकि याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल ने दलीलें रखीं। इन याचिकाओं में AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी की याचिका भी शामिल है

बिल जल्दबाज़ी में नहीं बना, करोड़ों लोगों से मिले सुझाव

सॉलिसिटर जनरल मेहता ने अदालत को बताया कि यह कानून कोई जल्दबाज़ी में नहीं बना। संसद की संयुक्त समिति (JPC) की 96 बैठकें हुईं और 97 लाख से ज्यादा लोगों से राय ली गई। कानून को पूरी प्रक्रिया और सोच-विचार के बाद संसद में पास किया गया। उन्होंने कहा कि याचिका लगाने वाले सभी लोग इस कानून से सीधे प्रभावित भी नहीं हैं

कोर्ट ने कहा- अंतरिम राहत चाहिए तो मजबूत तर्क दो

20 मई की सुनवाई में कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से कहा कि अगर उन्हें इस कानून से कोई नुकसान हो रहा है और वे राहत चाहते हैं, तो उन्हें अपना केस साफ और मजबूत तरीके से रखना होगा। कोर्ट ने साफ किया कि हर कानून संवैधानिक माना जाता है जब तक कि उसके उलट साबित न हो। इससे पहले 15 मई को कोर्ट ने कहा था कि अंतरिम राहत देने पर विचार किया जाएगा और केंद्र व याचिकाकर्ताओं को 19 मई तक हलफनामा देने को कहा गया था

सरकार का दावा- 2013 के बाद 20 लाख एकड़ से ज्यादा वक्फ ज़मीन बढ़ी

25 अप्रैल को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 1332 पेज का हलफनामा दाखिल किया था, जिसमें दावा किया गया कि 2013 के बाद से वक्फ संपत्तियों में 20 लाख एकड़ से ज्यादा का इज़ाफा हुआ है। इससे कई बार निजी और सरकारी ज़मीनों पर विवाद खड़ा हुआ

कपिल सिब्बल बोले- मुसलमान ही वक्फ बना सकते हैं, ये भेदभाव है

16 अप्रैल की सुनवाई में वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कानून के एक प्रावधान में लिखा है कि वक्फ सिर्फ मुसलमान बना सकते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार यह कैसे तय कर सकती है कि कौन मुसलमान है और किसे वक्फ बनाने की अनुमति है? उन्होंने कहा कि ऐसा नियम भेदभाव वाला है और इसे हटाया जाना चाहिए

 Nationalbreaking.com । नेशनल ब्रेकिंग - सबसे सटीक

  1. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वक्फ इस्लाम में है लेकिन अनिवार्य हिस्सा नहीं
  2. सरकारी ज़मीन को वक्फ घोषित कर देने से उस पर दावा नहीं बनता
  3. अदालत सिर्फ 5 मुख्य याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, ओवैसी की याचिका भी शामिल
  4. कानून बनाने से पहले 97 लाख सुझाव मिले, JPC की 96 बैठकें हुईं
  5. सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से कहा कि अगर राहत चाहिए तो मजबूत दलीलें लाओ
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