भाखड़ा नहर से जल आपूर्ति को लेकर हरियाणा और पंजाब के बीच गहराता विवाद अब सीधे टकराव में बदल चुका है। पिछले तीन दिनों से दोनों राज्यों की सरकारें आमने-सामने हैं। मामले को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए शुक्रवार को नई दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। बैठक में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिवों को तलब किया गया है।
पंजाब के मुख्य सचिव की अनुपस्थिति में बैठक में राज्य के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आलोक शेखर और जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव कृष्ण कुमार शामिल होंगे। भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी और केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी इस बैठक में हिस्सा लेंगे। इधर, हरियाणा में संकट को देखते हुए सरकार अलर्ट मोड पर है। सभी जिलों के एसई, एक्सईन, एसडीओ और जेई को आदेश दिया है कि वे किसी भी स्थिति में मुख्यालय न छोड़ें।
पंजाब सरकार ने बुलाई ऑल पार्टी बैठक
इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी सरकार ने चंडीगढ़ स्थित पंजाब भवन में ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई है, जिसमें राज्य की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के दिग्गज नेता शामिल हुए हैं।
बैठक में पंजाब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़, पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया, AAP के प्रदेश अध्यक्ष अमन अरोड़ा, कांग्रेस से तृप्त राजिंदर बाजवा और राणा केपी, अकाली दल के बलविंदर सिंह भूंदड़ और दलजीत चीमा भी शामिल हैं। इस दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने नेताओं को मामले की जानकारी दी।
वहीं दूसरी ओर, पंजाब भाजपा ने आम आदमी पार्टी की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है।
हरियाणा का हाईकोर्ट का रास्ता, ड्राफ्ट तैयार करने के निर्देश
पंजाब की ओर से जल आपूर्ति में कटौती के चलते हरियाणा सरकार इस मामले को न्यायालय में ले जाने की तैयारी कर रही है। जानकारी के अनुसार, हरियाणा के एडवोकेट जनरल को याचिका का ड्राफ्ट तैयार करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। हरियाणा सरकार का कहना है कि भाखड़ा नहर से मिलने वाले पानी को लेकर पंजाब ने मनमानी की है, जिससे राज्य के कई जिलों में गंभीर जल संकट पैदा हो गया है।
हरियाणा में जल संकट गहराया, इंजीनियरों को मुख्यालय न छोड़ने के आदेश
हरियाणा में जल संकट को लेकर प्रशासन अलर्ट मोड में है। लोक निर्माण मंत्री रणबीर गंगवा ने सभी जिलों के एसई, एक्सईन, एसडीओ और जेई को आदेश दिया है कि वे किसी भी स्थिति में मुख्यालय न छोड़ें।
उन्होंने निर्देश दिए हैं कि जहां जल संकट ज्यादा है, वहां आसपास के क्षेत्रों से पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। अफसरों ने मंत्री को बताया कि हिसार, सिरसा, महेंद्रगढ़, नारनौल और फतेहाबाद जिलों में हालात ज्यादा गंभीर हैं, जहां पेयजल की राशनिंग की जा रही है।
क्या है विवाद की जड़: पंजाब ने घटाया जल कोटा, हरियाणा की आपत्ति
इस पूरे विवाद की जड़ में है भाखड़ा नहर से हरियाणा को मिलने वाला पानी। पंजाब सरकार ने बीते करीब 18 दिनों से हरियाणा को मिलने वाले 8,500 क्यूसिक पानी को घटाकर 4,000 क्यूसिक कर दिया है।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि हरियाणा ने अपना तय कोटा मार्च में ही खत्म कर लिया था और अब जो 4,000 क्यूसिक पानी दिया जा रहा है, वह मानवता के आधार पर है। हरियाणा इस पर कड़ा ऐतराज जता रहा है और इसे अनुबंध के खिलाफ मानते हुए संवैधानिक और कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है।

- भाखड़ा नहर से पानी के बंटवारे को लेकर हरियाणा और पंजाब के बीच तनाव चरम पर है।
- पंजाब सरकार ने 8,500 क्यूसिक की जगह सिर्फ 4,000 क्यूसिक पानी हरियाणा को दिया, जिससे कई जिलों में जल संकट गहरा गया है।
- इस मुद्दे पर AAP सरकार ने चंडीगढ़ में ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई, जिसमें सभी प्रमुख दलों के नेता शामिल हुए।
- केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली में आपात बैठक बुलाई, जिसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल के मुख्य सचिवों को तलब किया गया है।
- हरियाणा सरकार हाईकोर्ट जाने की तैयारी में है जबकि राज्य के जल संकटग्रस्त जिलों में इंजीनियरों को मुख्यालय न छोड़ने के आदेश दिए गए हैं।