दुनिया भर में आज (18 अप्रेल) प्रभु यीशु के बलिदान का दिन गुड फ्राइडे मनाया जा रहा है। गुड फ्राइडे ईस्टर से ठीक पहले शुक्रवार को पड़ता है, ईसाई समाज के लिए यह अत्यंत पवित्र और भावनात्मक दिन होता है। गुड फ्राइडे को ब्लैक फ्राइडे, ग्रेट फ्राइडे, और होली फ्राइडे जैसे नामों से भी जाना जाता है। यह दिन केवल शोक का प्रतीक नहीं, बल्कि त्याग, सहिष्णुता और प्रेम की गहराई को समझने का भी अवसर है।
यह दिन उस क्षण की याद दिलाता है, जब प्रभु यीशु ने मानवता के पापों को धोने के लिए अपना जीवन बलिदान किया था। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जब उन्हें सूली पर चढ़ाया गया, तब उन्होंने तकलीफ के बीच भी प्रेम और क्षमा का संदेश दिया। वे कहते रहे—“हे प्रभु, इन्हें क्षमा करना क्योंकि ये नहीं जानते ये क्या कर रहे हैं।”
गुड फ्राइडे को ‘गुड’ क्यों कहा जाता है?
हालाँकि यह दिन शोक और आत्मचिंतन से जुड़ा है, लेकिन इसे ‘गुड’ यानी अच्छा कहा जाता है। इसकी एक प्रमुख व्याख्या यह है कि ईसा का बलिदान मानवता की मुक्ति के लिए अंतिम और आवश्यक त्याग था। इसके माध्यम से उन्होंने प्रेम और करुणा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
एक अन्य मत यह भी बताता है कि “गुड” शब्द पुरानी अंग्रेज़ी से आया है, जिसमें इसका अर्थ “पवित्र” होता है। इस कारण इसे “पवित्र शुक्रवार” भी कहा जाता है।
कैसे मनाया जाता है गुड फ्राइडे?
गुड फ्राइडे के दिन देश-विदेश में ईसाई समुदाय के लोग उपवास, प्रायश्चित और ध्यान के माध्यम से इस दिन को याद करते हैं। चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित होती हैं, जिनमें प्रभु यीशु के सूली पर चढ़ने की ‘पैशन स्टोरी’ का पाठ होता है।
भक्ति गीत, मौन ध्यान और यीशु के अंतिम शब्दों का स्मरण कर लोग अपने जीवन में आत्मनिरीक्षण करते हैं। कई लोग इस दिन जरूरतमंदों की सेवा को प्राथमिकता देते हैं।
सामाजिक संदेश: धर्म से ऊपर मानवता की प्रेरणा
गुड फ्राइडे हमें सिखाता है कि सत्य, प्रेम और करुणा के लिए जब एक व्यक्ति बलिदान देता है, तो वह पूरी मानवता के लिए एक अमिट संदेश छोड़ जाता है।
यीशु का बलिदान हमें यह भी सिखाता है कि धार्मिक आस्था को केवल पूजा-पद्धति तक सीमित न रखकर उसे समाजसेवा और सामूहिक भलाई के कार्यों में बदलना चाहिए।